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कटे जंजीर खुले दरवाजे….

आलेख

कटे जंजीर खुले दरवाजे….

(जन्माष्ठमी विशेष)

सर्वेश तिवारी श्रीमुख

“जन्म लेते ही वह बेड़ियां काटता है। थोडा सा बड़ा होता है, तो लज्जा की जंजीरे काटता हैं। ऐसे काटता है कि सारा गांव चिल्लाने लगता है- कन्हैया हम तुमसे बहुत प्रेम करते हैं। सब चिल्लाते हैं- बच्चे, जवान, बूढ़े, महिलाएं, लड़कियां सब… कोई भय नहीं, कोई लज्जा नही!”

आपने कभी सोचा है, कि वे जेल में ही क्यों जन्मे ?
भादो की काली अँधेरी रात में जब वे आये, तो सबसे पहला काम यह हुआ कि जंजीरे कट गयीं। जन्म देने वाले के शरीर की भी, और कैद करने वाली कपाटों की भी। वस्तुतः वह आया ही था जंजीरे काटने… हर तरह की जंजीर!
जन्म लेते ही वह बेड़ियां काटता है। थोडा सा बड़ा होता है, तो लज्जा की जंजीरे काटता हैं। ऐसे काटता है कि सारा गांव चिल्लाने लगता है- कन्हैया हम तुमसे बहुत प्रेम करते हैं। सब चिल्लाते हैं- बच्चे, जवान, बूढ़े, महिलाएं, लड़कियां सब… कोई भय नहीं, कोई लज्जा नही!
वह प्रेम के बारे में सबसे बड़े भ्रम को दूर करता है, और सिद्ध करता है कि प्रेम देह का नही हृदय का विषय है। माथे पर मोरपंख बांधे आठ वर्ष की उम्र में रासलीला करते उस बालक के प्रेम में देह है क्या? मोर पंख का रहस्य जानते हैं? मोर के सम्बन्ध में लोक की एक प्राचीन धारणा है कि वह मादा से शारीरिक सम्बन्ध नही बनाता। मेघ को देख कर नाचते मोर के मुह से गाज़ गिरती है,और वही खा कर मोरनी गर्भवती होती है। यह वैज्ञानिक रूप से सत्य न भी हो, पर युगों से लोक की मान्यता यही रही है। माथे पर मोर मुकुट बांधे वह बालक इस तरह स्वयं को गोस्वामी सिद्ध करता है। वह एक ही साथ “पूर्ण पुरुष” और “गोस्वामी” की दो परस्पर विरोधी उपाधियाँ धारण करता है।
कुछ दिन बाद वह समाज की सबसे बड़ी रूढ़ि पर प्रहार करता है, जब पूजा की पद्धति ही बदल देता है। अज्ञात देवताओँ के स्थान पर लौकिक और प्राकृतिक शक्तियों की पूजा को प्रारम्भ कराना उस युग की सबसे बड़ी क्रांति थी। वह नदी, पहाड़, हल, बैल, गाय, की पूजा और रक्षा की परम्परा प्रारम्भ करता है। वह इस सृष्टी का पहला पर्यावरणविद् है।
थोडा और बड़ा होता है तो परतंत्रता की बेड़ियां काटता है, और उस कालखंड के सबसे बड़े तानाशाह को मारता है। ध्यान दीजिये, राजा बन कर नही मारता, आम आदमी बन कर मारता है। कोई सेना नहीँ, कोई राजनैतिक गठजोड़ नहीं। एक आम आदमी द्वारा एक तानाशाह के नाश की एकमात्र घटना है यह।
इसके बाद वह सृष्टि की सबसे बड़ी बेड़ी पुरुषसत्ता पर प्रहार करता है। तनिक सोचिये तो, आज अपने आप को अत्याधुनिक बताने वाले लोग भी क्या इतने उदार हैं कि सामाज की परवाह किये बगैर अपनी बहन को अपनी गाड़ी पर बैठा कर उसके योग्य प्रेमी के साथ विदा कर दे ? पर वह ऐसा करता है। ठीक से सोचिये तो स्त्री समानता को लागु कराने वाला पहला व्यक्ति है वह। वह स्त्री की बेड़ियां काटता है।
कुछ दिन बाद वह एक महान क्रांति करता है। नरकासुर की कैद में बंद सोलह हजार बलात्कृता कुमारियों की बेड़ी काट कर, और उनको अपना नाम दे कर समाज में रानी की गरिमा दिलाता है।
फिर वह उंच नीच की बेड़ियां काटता है और राजपुत्र हो कर भी सुदामा जैसे दरिद्र को मित्र बनाता है, और मित्रता निभाता भी है। ऐसा निभाता है कि युगों युगों तक मित्रता का आदर्श बना रहता है।
फिर अपने जीवन के सबसे बड़े रणक्षेत्र में अन्याय की बेड़ियां काटता है। कहते हैं कि यदि वह चाहता तो एक क्षण में महाभारत ख़त्म कर सकता था। पर नहीं, उसे न्याय करना है, उसे दुनिया को बताना है कि किसी स्त्री का अपमान करने वाले का समूल नाश होना ही न्याय है। वह स्वयं शस्त्र नहीं छूता, क्योकि उसे पांडवों को भी दण्डित करना है। स्त्री आपकी सम्पति नही जो आप उसको दांव पर लगा दें, स्त्री जननी है, स्त्री आधा विश्व् है। वह स्त्री को दाव पर लगाने का दंड निर्धारित करता है, और पांडवों के हाथों ही उनके पुर्वजों का वध कराता है। अर्जुन रोते हैं, और अपने दादा को मारते हैं। धर्मराज का हृदय फटता है पर उन्हें अपने मामा, नाना, भाई, भतीजा, बहनोई को मारना पड़ता है। अपने ही हाथों अपने बान्धवों की हत्या कर अपनी स्त्री को दाव पर लगाने का दंड वे जीवन भर भोगते हैं। वह न्याय करता है। वह अन्याय की बेड़ियां तोड़ता है।
वह मानव इतिहास का एकमात्र नायक है। वह महानायक है,रियल हीरो है…
वह! कन्हैया…भारत का प्राण कन्हैया… इस जगत का सबसे बड़ा गुरु कन्हैया… सबसे अच्छा मित्र कन्हैया… सबसे बड़ा प्रेमी कन्हैया… सबसे अच्छा पति कन्हैया… सबसे अच्छा पुत्र कन्हैया… सबसे अच्छा भाई कन्हैया… कन्हैया…
आओ कान्हा, काटो हमारी बेड़ियां।

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।

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