Connect with us

धूल चेहरे पर ………

आलेख

धूल चेहरे पर ………

(व्यंग्य)

✍️ राजीव नयन पाण्डेय

यह तो नहीं मालूम की किसी को चाहने का पैमाना लीटर, मीटर, किलो या कुंतल में होता है या नहीं, पर यदि पैमाना होता तो भी खेल प्रेमियों के दिल में क्रिकेट के प्रति चाह को पैमाना में मापना या नापना सम्भव नहीं हो पाता।
खैर, मुझे यह बात अब भी नहीं समझ आती कि जिस देश में खेल प्रेमी अखबार के खेल पृष्ठ से पढ़ना शुरू करता हो…उस देश में क्रिकेट को राष्ट्रीय खेल का दर्जा न देना न्यायोचित नहीं हो सकता है।


खेल की दुनिया में रोज नये ने खेलों का आगाज होता है.. हांलांकि आम जनता के जज्बातों से नेताओं का खेलना अब भी पहले स्थान पर है। नेता चाहे किसी भी दल के हो, वो हमेशा आमजन के “तन से खेला, मन से खेला, धन से ..जब मन तब खेला” और जनता हर यही कहती हैं..वाह नेताजी “वेल प्लेड, वेल प्लेड, वेल प्लेड “.
और हां रही बात खेलने खिलाने कि तो भारतीय क्रिकेट टीम वाकई तो क्रिकेट प्रेमियों के भावनाओं के साथ खेल खेलना शुरू कर वो‌ भी 1985 से, जब आस्ट्रेलिया टीम की देखा देखी खिलाड़ियों के जर्सी का रंग ही रंगीन कर दिया था, यह सोच कर‌ की शायद क्रिकेट के अच्छे दिन आ जाए।

‌ परन्तु, फिर वही चार दिन की चांदनी और….फिर तो सिलसिला ही शुरू हो गया 1992,1994,1996…में जर्सी का रंग शायद यह सोच कर बदला गया कि …शायद रंग बदलती दुनिया की तरह… भारतीय क्रिकेट टीम की रंगत भी बदले। रात रंगीन हो पर सपने हमेशा बेरंग ही होते हैं।
समय बीतता गया खेल की दुनिया में बेरंग हो चुकी भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 2011 वर्ल्ड कप की भाग्यशाली साबित हुई। 1983 के बाद भारत ने वर्ल्ड कप की ट्रॉफी को अपने नाम किया था।

खैर रंग बदलना शायद ही कोई ऐसा न हो जो इस विधा को न जानता हो, न जाने क्या सोच कर हर साल टीम की जर्सी बदलना जरूरी क्यों होता है, प्राईवेट स्कूल वाले हर साल बच्चों का ड्रेस, सिलेबस बदलते हैं तो उनका कमिशन का चक्कर होता हैं ..पर बीसीसीआई की कौन सी मजबूरी है। भारतीय क्रिकेट टीम के 35 वर्ष के इतिहास में लगभग 20 बार से अधिक बार टीम ने रंग बदला..इस रंग बदलने की कला से नेताओं को शर्मिन्दा न होना पड़ रहा हो कि…वे भी पीछे छूट रहे..।

दर्शक जैसे तैसे अपनी पसंदीदा टीम के प्रति भावनात्मक लगाव महसूस करती हैं…तब तक टीम ही रंग बदल लेती है, जैसे किसी साथ चलने वाले सहयात्री से मेलजोल बढ़ाए..तब तक उसका स्टेशन आ जाता हैं।
खैर मुझे क्या कौन, कौन सा रंग दिखाने वाला है, पर अब सुना है.. भारतीय क्रिकेट टीम अपना रंग फिर से दिखाने जा रही, यानि खेल का सत्यानाश हो रहा..खेल पर न ध्यान दें कर जर्सी का रंग बदल रही हैं, माने ग़ालिब साहब ने इन जैसों के लिए ही लिखा हो कि…

“जिंदगी भर ग़ालिब, यही भूल करता रहा,

धूल चेहरे पर थी, आईना साफ करता रहा..


राजीव नयन पाण्डेय, सम्प्रति अनुभाग अधिकारी, उत्तराखंड सचिवालय_

Continue Reading
You may also like...

More in आलेख

Trending News

Follow Facebook Page

About Us

उत्तराखण्ड की ताज़ा खबरों से अवगत होने हेतु संवाद सूत्र से जुड़ें तथा अपने काव्य व लेखन आदि हमें भेजने के लिए दिये गए ईमेल पर संपर्क करें!

Email: [email protected]

AUTHOR DETAILS –

Name: Deepshikha Gusain
Address: 4 Canal Road, Kaulagarh, Dehradun, Uttarakhand, India, 248001
Phone: +91 94103 17522
Email: [email protected]