Connect with us

राजनीति में सुनहरे अक्षरों में अपना नाम दर्ज कर गई इंदिरा।

आलेख

राजनीति में सुनहरे अक्षरों में अपना नाम दर्ज कर गई इंदिरा।

दीपशिखा गुसाईं


आज स्तब्ध करने वाली खबर राजनीति के शिखर पर पहुँचने वाली एक दबंग महिला इंदिरा हृदयेश का निधन, जो कि अप्रत्याशित सा है.. कांग्रेस के लिये यह अपूर्णीय क्षति होगी.. क्यूंकि ऐसा नेता सदियों में एक निकलकर आता है.. जिस तरह से कांग्रेस के बड़े नेताओं के बीच अपनी जगह बनाई वह उनके वर्चस्व को दर्शाता है.. उनके जाने से राजनीती के एक युग का अवसान हुआ।
डॉ इंदिरा हृदयेश का जन्म वर्ष 1941 में गोरखपुर में हुआ था, वह मूल रूप से पिथौरागढ़ के दसौली गांव के दोणू तोक की रहने वाली थी,उनके पिता टीका राम पाठक व माता रमा पाठक उस समय गोरखपुर में ही रहते थे। उन्होंने उच्च शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय से ली। उच्च शिक्षा के बाद वह ललित आर्य महिला इंटर कॉलेज में प्रवक्ता बनी और वहीं पर 38 वर्ष तक प्रधानाचार्य भी रहीं।
इंदिरा ने लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में एमए और पीएचडी हासिल की। वह मेधावी छात्रा होने के साथ ही सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय थी।1962 में राजनीति में आने के साथ ही वह शिक्षक संघ में सक्रिय हो गई। पहली बार वर्ष 1974 में शिक्षक दल के प्रत्याशी के रूप में विधानपरिषद के लिए चुनी गईं। इसके बाद वह वर्ष 1986, 1992, 1998 में रिकार्ड मतों से विधानपरिषद की सदस्य निर्वाचित हुईं। इस दौरान शिक्षकों के हित में लड़ाई लड़ते रहीं। इस बीच बिजनौर के रहने वाले हृदयेश शर्मा से उनका विवाह हुआ। इसके बाद वह अपना नाम इंदिरा पाठक से इंदिरा हृदयेश लिखने लगी।
वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद डा. इंदिरा हृदयेश को कांग्रेस ने विधायक दल का नेता मनोनीत किया। 2002 में पंडित एनडी तिवारी की पहली निर्वाचित सरकार में वह संसदीय कार्य, सूचना, राज्य संपत्ति, लोक निर्माण, विज्ञान व प्रोद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का दायित्व निभाया। इसके बाद 2012 में फिर से कांग्रेस सरकार में उन्होंने महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। उस समय वह इतनी प्रभावशाली हो चुकी थी कि राज्य की सियासत में उन्हें अगला मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया जाने लगा। हालांकि इसके बाद राज्य की सत्ता में भाजपा आ चुकी थी, लेकिन इंदिरा का कद कम नहीं हुआ। पर वह सियासत में अपने वर्चस्व को कायम रखने में कामयाब रहीं।
यह वह दौर था जब सीएम एनडी तिवारी थे, लेकिन देश भर में जहां भी मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन होता था तो वहां पर डा. इंदिरा हृदयेश की ही मौजूदगी रहती थी। वह अक्सर प्रभावी तरीके से अपनी बात भी रखती थी।
वह ऐसे ही नहीं इस तरह अपना वर्चस्व स्थापित की, बल्कि उन्हें राजनीति की बहुत गहरी समझ थी। अपने विरोधियों को कैसे पस्त करना है और अपने करीबियों को किस तरह मदद पहुंचानी है, इस बात को वह बखूबी जानती थी। यानी कि वह सियासत के दांव पेंच खेलने में माहिर थी।
आज उनके जाने से जहाँ सियासत में माहौल गमगीन है,, वही उत्तराखंड की राजनीती से एक दबंग महिला के साथ ही एक युग का अंत भी हुआ……

Continue Reading
You may also like...

More in आलेख

Trending News

Follow Facebook Page

About Us

उत्तराखण्ड की ताज़ा खबरों से अवगत होने हेतु संवाद सूत्र से जुड़ें तथा अपने काव्य व लेखन आदि हमें भेजने के लिए दिये गए ईमेल पर संपर्क करें!

Email: [email protected]

AUTHOR DETAILS –

Name: Deepshikha Gusain
Address: 4 Canal Road, Kaulagarh, Dehradun, Uttarakhand, India, 248001
Phone: +91 94103 17522
Email: [email protected]