Connect with us

प्रेरणा-: “जागते रहो”

आलेख

प्रेरणा-: “जागते रहो”

देवेश आदमी

जमीन में बैठा कूड़े के ढेर पर जो व्यक्ति आप देख रहे हैं यह अनूप नोटियाल। इन के बारे में मैं बहुत कम मगर महत्वपूर्ण जानकारी रखता हूँ। अनूप जी से मेरी 3 मुलाकातें हैं पहली बार हम किसी कार्यक्रम में 2009 में देहरादून प्रेस क्लब में मुख़ातिर हुए थे उस के बाद 2012 व 2019 में हमारी मुलाकातें हुए। मैंने अनूप जी से उन के बारे में या उन के काम के बारे में कभी कुछ नही पूछा आज भी मैं छोटे भाई की तरह अनूप जी को अनेकों समाधान हेतु फोन करता हूँ। उन से मुझे अनेकों परामर्श मिलते हैं। विगत 2 वर्ष से करोना पर सब से अधिक कोई सामाजिक कार्यकर्ता सोशलमीडिया पर सक्रिय रहा तो उन में से मेरी नजर में एक अनूप नोटियाल जी हैं लोगों में करोना के प्रति जागरूकता फैले भ्रांतियां खत्म हो इस के लिए अनूप जी स्वेच्छा से सोशलमीडिया पर एक सीरियल लेकर आये थे जिस से अनेकों लोगों को मदद मिली।
अनूप जी विगत कुछ वर्षों से एक NGO संचालित करते हैं जिस का नाम “गति” हैं। जब 2007 में वे स्विट्जरलैंड से भारत लौटे तो इसी सोच के साथ लौटे थे कि उत्तराखण्ड के विकास को गति देंगे पर ऐसा हुआ नही वर्ष 2012 में उन्होंने UKD के टिगत से बल्लूपुर देहरादून से चुनाव भी लड़ा पर कोई बड़ा करिश्मा नही कर सके। अपने ही दगाबाज निकले। अनूप जी के बारे में कहा जाता हैं कि वे स्विट्जरलैंड सरकार के लिए टेक्सटाइल विभाग सम्भालते थे। जब वे भारत लौटे तो उत्तराखण्ड बने कुछ चंद वर्ष हुए थे उन्होंने नवोदित उत्तराखण्ड को गति देने ही सभी कोशिशें की। हालांकि राज्य की नीति जिन लोगों के हाथ में थी वे लोग उन्हें पसदं नही करते थे यूँ कहें उन की तरह सोच समझ रखने वाले किसी भी व्यक्ति को सत्तारूढ़ पसंद नही करता था। आज भी नही करता हैं और भविष्य में कभी नही करेंगा। तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चन्द खण्डूरी ने उन्हें समझा परखा ओर अनूप जी के सहयोग से स्वास्थ्य मुख्य सचिव केशव देशिराजू की मेहनत से उत्तराखण्ड में चिकित्सा सेवा में एक क्रांति जुड़ी जिस का नाम 108 एम्बुलेंस सेवा हैं।

यह तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई जब उत्तराखंड की लाइफलाइन सीधे गाँव से जुड़ी 6-10-2009 का वह पल चिकित्सा सेवा में बहुत बड़े बदलाव के लिए याद रखा जाता हैं। इस सेवा से सीधे 1 करोड 10 लाख लोगों को फायदा हुआ। इस सेवा ने उत्तराखण्ड चिकित्सा नीति को पटरी पर लाने का भरपूर कार्य किया। हालांकि वर्तमान स्थिति बहुत दयनीय हैं। 108 कर्मचारियों को समय पर मेहनताना न मिलना वाहनों का रखरखाव प्रोटोकॉल का पालन न करना ठेकेदारी प्रथा में कर्मचारियों का अत्यध्कि दोहन जैसे अनेकों कमियों से 108 सेवा आज रसातल में पहुच गया।
अनूप नोटियाल जैसे अनेकों लोग आज भी पहाड़ को संवारने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वर्तमान में अनूप जी ने प्लास्टिक फ्री एनवोरमेंट का बीड़ा उठाया हैं। देहरादून को स्वच्छा साफ रखने के लिए FRI के साथ मिल कर कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। अनूप नोटियाल जी को योगी सरकार में उत्तरप्रदेश की कपड़ा विभाग को संवारने का मौका मिला पर वे उत्तराखंड को छोड़ने के लिए राजी नही हुए। कबाड़ से जुगाड़ बनाने का हुनर नोटियाल जी में सायद बच्पन से था इस लिए कबाड़ हो चुके उत्तराखंड में वे नई जुगत तलास रहे हैं। अनूप जी जैसे अनेकों योद्धा हमारे मध्य आये और चले गए जिन का सही से मूल्यांकन भी नही हो सका। इन के कार्यों का विश्लेषण नई पीढ़ी को एक संस्थान देना जैसे हैं। आज भी अनूप नोटियाल जी उत्तराखण्ड को संवारने में जुटे हैं हमें उन का साथ चाहिए क्यों कि उन्हें समाज की परख अब्बल दर्जे से हैं। उन्हें हमारा साथ नही चाहिए क्यों कि वे निरन्तर बहती धारा हैं। कल उस जगह कोई और होगा और हमारे स्थान पर कोई और समाज में बदलाव की लौ सदैव जलती रहनी चाहिए। हम सुक्रगुजार हैं कोई तो हैं जिस के हाथ में मशाल हैं कोई तो हैं जो चौकीदार बन सब की चेतना को आवाज दे रहा हैं कोई तो हैं जिस ने सोने का नाटल नही किया हैं जो चिल्ला रहा हैं “जागते रहो” “जागते रहो” “जागते रहो”

देवेश आदमी

Continue Reading
You may also like...

More in आलेख

Trending News

Follow Facebook Page

About Us

उत्तराखण्ड की ताज़ा खबरों से अवगत होने हेतु संवाद सूत्र से जुड़ें तथा अपने काव्य व लेखन आदि हमें भेजने के लिए दिये गए ईमेल पर संपर्क करें!

Email: [email protected]

AUTHOR DETAILS –

Name: Deepshikha Gusain
Address: 4 Canal Road, Kaulagarh, Dehradun, Uttarakhand, India, 248001
Phone: +91 94103 17522
Email: [email protected]