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दिल का मामला है….

आलेख

दिल का मामला है….

विश्व दिल दिवस

नीरज कृष्ण

हमारे ज्यादातर रिश्ते जन्मजात होते हैं। प्रेम का रिश्ता हम खुद बनाते हैं। प्रेम का रिश्ता सभी रिश्तों में सबसे ज्यादा गहरा होता है क्योंकि इसमें दो लोग मानसिक, वैचारिक और कायिक तीनों स्तरों पर जुड़ते हैं। सरल शब्दों में कहें तो जो भावना, सोच और देह तीनों स्तर पर आपस में जुड़े हों उन्हें प्रेमी कहते हैं।

जरूरी नहीं कि हम हर बार हर व्यक्ति से तीनों स्तर पर जुड़े हों। कुछ लोग खुशनसीब होते हैं कि वो जिसे अपना पहला प्यार समझते हैं उसी के साथ बाकी उम्र गुजारते हैं। ऐसे कुछ लोगों से खुलकर बात करने का मौका मिलने पर पूछा कि क्या सचमुच यही वह लड़की थी जो आपको पहली बार अच्छी लगी ? जिसकी तरफ आपका दिल पहली बार खिंचा ? यकीनन अधिकांश लोगों का उत्तर नहीं होगा। यानी हम जिसे पहला प्यार कहते हैं वह दरअसल प्यार की अभिव्यक्ति का पहला स्वीकार होता है।

कई बार एक स्तर पर जुड़ने के बाद दूसरे या तीसरे स्तर पर जुड़ाव का अभाव खटकने लगता है। अगर व्यक्ति तीनों स्तरों पर न जुड़े तो वह सम्बन्ध विषमवत रहता है। उसे अक्सर जोड़-जुगाड़ से ठोकठाक कर फिट किया जाता है। पश्चिम में तलाक दर ज्यादा होने की एक वजह यह भी है कि वहाँ का समाज का ज्यादा खुला है। वहाँ लोग घुटकर या मजबूर होकर सम्बन्ध निभाने में यकीन नहीं रखते।

जिस समाज में प्रेम को सामाजिक मान्यता नहीं मिलती वहाँ पहले प्यार को लेकर कुछ ज्यादा ही फलसफा गढ़ा जाता है। ऐसे समाज में प्यार केवल प्यार नहीं बल्कि एक सामाजिक जद्दोजहद होता है।

हमारे समाज में प्रेम सम्बन्ध को लेकर इतनी मिथ्या धारणाएँ भरी होती हैं कि प्रेम प्रस्ताव के लिए नकार दिए जाने पर कुछ लोग पूरा जीवन दाँव पर लगा देते हैं। दिल टूटने पर अक्सर लोगों को लगने लगता है अब उन्हें फिर प्यार नहीं होगा! कुछ तो इसे अपनी जिद बना लेते हैं।

लेकिन एक न एक दिन ऐसा आता है कि वो महसूस करते हैं उन्हें फिर से प्यार हो गया है। जी हाँ। जिस दिल को कोई तोड़ देता है उसी दिल को कोई जोड़ देता है। मशहूर कलाकार चार्ली चैप्लिन ने स्वीकार किया था कि उन्हें अपने जीवन में सच्चा प्यार अपनी चौथी पत्नी ऊना से मिला। दोनों का सम्बन्ध करीब 44 साल चला।

दिल की टुटन में घुटना टूटने से ज्यादा दर्द होता है। लेकिन जिस तरह घुटना जुड़ जाता है उसी तरह दिल भी जुड़ जाता है। ‘प्यार तो बस एक बार होता है’ इसे भ्रम कहें या झूठ। इसने बहुतों की जिंदगी और रिश्ता तबाह किया है।हालांकि यहाँ यह भी मानना होगा कि कुछ अभागे होते हैं जिन्हें उनका दिल जोड़ने वाला कभी नहीं मिलता।

वो दिल कहाँ से लाऊँ, तेरी याद जो भुला दे / मेरे दिल ने तुझको चाहा, क्या यही मेरी खता है/ माना खता है लेकिन ऐसी तो न सजा दे/ मुझे याद आनेवाले, कोई रास्ता बता दे……….

नीरज कृष्ण

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