आलेख
महर्षि वेद व्यास का दिन।
गुरु पूर्णिमा
(ध्रुव गुप्त)

गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा हमारे भारत के महानतम कवि, अन्वेषक, संकलनकर्ता, इतिहासकार और अध्यात्म पुरुष महर्षि वेद व्यास का जन्मदिन है। वे व्यास थे जिन्होंने सदियों से श्रुति परंपरा से चली आ रही वैदिक ऋचाओं का संकलन कर उन्हें चार भागों में बांटकर चार वेदों का रूप दिया था। यह कार्य कितना श्रमसाध्य रहा होगा इसकी कल्पना ही की जा सकती है। ये चारों वेद सनातन धर्म और अध्यात्म की बुनियाद हैं। वे व्यास थे जिन्होंने 18 पुराणों और 18 उप पुराणों की रचना की। उनमें ‘भागवत पुराण’ को पवित्र धर्मग्रंथ का दर्जा हासिल है। पुराण वस्तुतः मौखिक परंपरा से अनंत काल से कहा-सुना जाने वाला देश का इतिहास ही हैं। बस उन्हें सुनाने का तरीका रहस्यमय और चमत्कारों से भरा हुआ था। तब साहित्य की श्रेष्ठता की कसौटी चमत्कारिता ही हुआ करती थी।
विश्व के सबसे बड़े महाकाव्यों में एक ‘महाभारत’ के रचयिता भी व्यास थे जिसके बारे में कहा जाता है कि इस संसार में जो कुछ है वह ‘महाभारत’ में है और जो ‘महाभारत’ में नहीं है वह कहीं भी नहीं है। आज आषाढ़ पूर्णिमा को इस महाग्रंथ की रचना पूरी हुई थी। माना जाता है कि हिंदुओं का पवित्रतम ग्रंथ और भारतीय अध्यात्म का सार ‘गीता’ इसी ‘महाभारत’ का अंश है। चार वेदों के सार-ग्रंथ ‘ब्रह्मसूत्र’ की रचना व्यास ने ही की थी। आभार स्वरूप एक बार देश भर में फैले उनके शिष्यों ने आषाढ़ पूर्णिमा को एकत्र होकर उनकी पूजा-अर्चना की थी। गुरुपूर्णिमा की परंपरा का सूत्रपात संभवतः उसी दिन हुआ था। तब से लोग अपने आध्यात्मिक गुरु में व्यास का अंश मानकर उनके प्रति आभार प्रदर्शन करते आ रहे हैं।
आज गुरु पूर्णिमा के दिन हमारे देश के महानतम साहित्यकार, इतिहासकार और ज्ञान तथा अध्यात्म के शिखर पुरुष महर्षि वेद व्यास को नमन और जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले सभी गुरुओं के प्रति श्रद्धा-निवेदन।
ध्रुव गुप्त

