Connect with us

मध्यम-मार्ग के शिखर पुरुष – अटल बिहारी बाजपेयी !!

आलेख

मध्यम-मार्ग के शिखर पुरुष – अटल बिहारी बाजपेयी !!

25 दिसंबर जन्मदिन विशेष

नीरज कृष्ण

भारतीय राजनीति में अटल बिहारी | वाजपेयी जैसे नेताओं का आना देश के लिए ही नही बल्कि दुनिया के लिए सुखद एवं विकास का पर्याय कहा जा सकता है। उनके साथ लोगो के वैचारिक मतभेद तो रहे लेकिन किसी से मन भेद कभी नही रहा । इसीलिए उन्हें सर्व मान्य नेता माना गया । अपने इसी गुण के कारण वे पक्ष विपक्ष दोनों के लिए सम्मानीय और लोकप्रिय रहे। उन्होंने राजनीति की एक बड़ी पारी खेली और पांच पीढ़ियों तक के राजनीतिक सहभागी बने जीवन पर्यन्त कुंवारा रहे वाजपेयी उन कुंवारे राजनेताओं के लिए आशा की किरण रहे जो उनके अनुसार ही राजनीतिक सफलता प्राप्त करना चाहते थे इतिहास पर नज़र डालें तो सन 1957 की लोकसभा में भारतीय जन संघ के सिर्फचार सांसद थे ।इन सासंदों का परिचय तत्कालीन राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन से जब कराया गया तो राष्ट्रपति ने हैरानी व्यक्त करते हुए कहा कि वह किसी भारतीय जन संघ नाम की पार्टी को नहीं जानते राष्ट्रपति से मिलने वाले अटल बिहारी वाजपेयी उन चार सांसदों में से एक थे। उसी भारतीय जनसंघ की उत्तराधिकारी भारतीय जनता पार्टी के आज सबसे ज्यादा सांसद हैं और शायद ही ऐसा कोई होगा जिसने भाजपा का नाम न सुना हो लेकिन यह भी सच है कि भारतीय जन संघ से भारतीय जनता पार्टी और सांसद से देश के प्रधानमंत्री तक के सफर में अटल बिहारी वाजपेयी ने कई बड़े राजनीतिक पड़ाव तय किए थे।

नायक संस्कारों के साथ जन्म लेते हैं, प्रकृति व समाज मिलकर उसके व्यक्तित्व को गढ़ते हैं। चम्बल के बीहड़ के समीप योगेश्वर श्रीकृष्ण की लीला की साक्षी रही यमुना के संस्कारों को अपने रक्त में लिए बालक अटल बिहारी बाजपेयी के व्यक्तित्व को भी प्रकृति व समाज ने आकर दिया।

सनातनी परंपरा की पारंपरिक लीक को तोड़ते हुए अटल बिहारी अपने जीवन का लक्ष्य व मार्ग स्वयं निर्धारित करते हुए आर्य कुमार सभा और राष्ट्रिय सेवक संघ से अल्पायु में ही जुड़ गए। ऐसे ही विराट व्यक्तित्व एवं अदम्य साहसी महानायकों के लिए राष्ट्रकवि दिनकर ने लिखा है –‘पौरुष अपना पथ स्वयं गढ़ता है।‘ हार नहीं मनाने वाला जिद्दी संस्कार अटल बिहारी बाजपेयी के व्यक्तित्व का मूल तत्व है।

युवा अटल बिहारी बाजपेयी पर रामचंद्र वीर की पुस्तक ‘अमर कृति विजय पताका’ के गहरे प्रभाव का परिणाम था रामचंद्र वीर का मानना है कि भारतवर्ष के पिछले एक हजार साल के इतिहास को हार और गुलामी का नहीं बल्कि संघर्ष और विजय की इतिहास के रूप में देखा जाना चाहिए। बाजपेयी जी ने इस विचार को अपने मन में बैठा लिया। किशोरावस्था में बीज रूप में ह्रदय पर बैठा यह संस्कार उत्तरोत्तर विकसित होता गया और हिंदुत्व के विराट जीवन दर्शन के साथ है तादात में बैठ आते हुए एक नवीन व्यवहारिक दर्शन के रूप में सामने आया अटल जी की कविता- ‘हार नहीं मानूंगा रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं’ उनके व्यक्तित्व के इसी पक्ष का ही उद्घोष है।

अटल जी का प्रखर राष्ट्रवाद और राष्ट्र के लिए समर्पण करोड़ों देशवासियों को हमेशा से प्रेरित करता रहा है। राष्ट्रवाद उनके लिए सिर्फ एक नारा नहीं था, बल्कि जीवन शैली थी। वे देश को सिर्फ एक भूखंड, जमीन का टुकड़ा भर नहीं मानते थे, बल्कि एक जीवित, संवेदनशील इकाई के रूप में देखते थे। ‘भारत जमीन का टुकड़ा नहीं जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।‘ यह सिर्फ भाव नहीं बल्कि उनका संकल्प था जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन न्योछावर कर दिया। दशकों के सार्वजनिक जीवन उन्होंने अपनी इसी सोच को जीने में धरातल पर उतारने में लगा दिया।

अटल बिहारी बाजपेयी अलग ढंग के राजनेता थे, उन्होंने क्योंकि राजनीति उनका सर्वस्व नहीं था। वे सत्ता उन्मुखी राजनीति नहीं बल्कि समाजोन्मुखी राजनीति के पक्षधर थे। उनकी राजनीति की गति विपक्ष व सत्ताधारी की भूमिका में समान रही। इन्हीं गुणों के कारण व लंबे काल तक भारतीय राजनीति के आधारबिंदु रहे। केवल भाग्य पर ही अवलंबित पतंग की उड़ान की भांति नहीं रहे, बल्कि लक्ष्यप्रेरित रहे। उनका मानना था- व्यक्ति से बड़ा दल बदल से बड़ा देश। पार्टी हित के लिए स्वयं को कभी आगे तो कभी पीछे रखकर कार्य किया। नेतृत्व हो अथवा सहायक कार्यकर्ता की भूमिका, उन्हें दोनों सहजता से स्वीकार्य थी।

अटल बिहारी बाजपेयी ने जिंदगी को जी भर कर जिया। जीवन में उनका कोई भी मानवीय कर्म अधूरा नहीं था। देश में घूम-घूम कर वे अपने भाषणों के चुंबकीय आकर्षण से श्रोताओं को खींचते रहे। अपनी वाग्मिता, अपनी नैतिकता और ईमानदारी के जोर से पूरे देश में उन्होंने एक बड़ा श्रोता वर्ग और अपनी पार्टी का एक बड़ा संगठन खड़ा किया। उनकी उपलब्धियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है।

उनका नाम सुनते ही जो चीज जेहन में सबसे पहले आती थी- वह थी उनकी वक्तृत्व कला। विरोधी विचारों के लोग भी उन्हें सुनते ही उनके कायल हो जाते थे। अटल अपनी सभाओं में लोगों को हंसाते भी थे और भावनाओं में बहाते भी थे। संसद से लेकर आम-सभा तक वे सत्य कहने से कभी हिचकते नहीं थे लेकिन उनके मुख से निकले कटु सत्य से भी कोई आहत नहीं होता था, यही उनके भाषण की अद्भुत कला थी। 1971 की एक सभा में उन्होंने कहा था कि इंदिरा गांधी आजकल मेरी तुलना हिटलर से करती है। एक दिन मैंने इंदिरा जी से पूछा कि आप मेरी तुलना हिटलर से क्यों करती हैं? तो इंदिरा गांधी ने जवाब दिया कि आप बांह उठा-उठा कर सभाओं में बोलते हैं, इसलिए मैं आपकी तुलना नाजी से करती हूँ। तब इस पर बाजपाई जी ने टिप्पणी की और लोगों ने खूब ठहाके लगाए। उन्होंने कहा कि क्या मैं आपकी तरफ पैर उठा-उठा कर भाषण दूं। यह उनके व्यंग का अपना अंदाज था। इस तरह के व्यंग उनके भाषणों को रोचक तो बनाते ही थे साथ ही सटीक निशाने पर भी बैठते थे। उनके भाषण में रोचकता के साथ साथ गंभीर मुद्दे होते थे, चिंताएं होती थी जो किसी भी राष्ट्रीय नेता के भाषण में होना चाहिए।

अपने देश में चाहत और रुचियाँ यह निर्धारित नहीं करती कि जीवन में आप किस रास्ते, किधर जाएंगे, लेकिन जिधर जाएंगे, रुचियां अपना काम करती रहेंगी। अटल जी को प्राध्यापक बनने की चाहत थी, किंतु नियति ने पत्रकार बना कर खड़ा कर दिया। पत्रकार का धर्म शिक्षक-धर्म से भिन्न नहीं होता। शिक्षक का धर्म है छात्र-शिक्षण एवं पत्रकार का धर्म है जन-शिक्षण। अटल जी एक सफल पत्रकार थे। पत्रकारिता के जरिए लगातार राजनीतिक- सामाजिक हस्तक्षेप करते रहे।

भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री एम सी छागला ने कहा था कि बाजपेई जी की जिह्वा पर सरस्वती विराजती हैं। वही बाजपेई जी को सबको सुनाते-सुनाते ऐसे चुप हुए कि लोग उन्हें सुनने के लिए तरस कर रह गए। 13 वर्षों तक स्मृति-शून्य होकर विस्मृति के गर्भ में चले गए थे। जीवित लाश की तरह जीते हुए वे यह भी कहने की स्थिति में नहीं रहे कि ‘जिंदगी छोड़ दो पीछा मेरा, मैं बाज आया।‘

भारत में दलगत तीक्षणता से जब भी लोकतंत्र में संकट में आता दिखेगा, तब देश बाजपाई जी के आदर्शों की ओर उम्मीद भरी निगाह से देखेगा और वहीं से समाधान के निकालेगा। बाजपेयी जी भले ही आज हमारे बीच उपस्थित नहीं है लेकिन उनके विचार आने वाले समय में भी भारत की सेवा करते रहेंगे।

नीरज कृष्ण,एडवोकेट(पटना हाई कोर्ट)

Continue Reading
You may also like...

More in आलेख

Trending News

Follow Facebook Page

About Us

उत्तराखण्ड की ताज़ा खबरों से अवगत होने हेतु संवाद सूत्र से जुड़ें तथा अपने काव्य व लेखन आदि हमें भेजने के लिए दिये गए ईमेल पर संपर्क करें!

Email: [email protected]

AUTHOR DETAILS –

Name: Deepshikha Gusain
Address: 4 Canal Road, Kaulagarh, Dehradun, Uttarakhand, India, 248001
Phone: +91 94103 17522
Email: [email protected]