आलेख
“विश्व फोटोग्राफी दिवस”
दीपशिखा गुसाईं
“कहा जाता है कि किसी पल को अगर अमर करना हो तो उसे तस्वीरों में कैद कर लो तस्वीरें किसी के प्रति आपकी भावनाओं का भी हाल बताती हैं।“
अक्सर इंसान प्रकृति की तस्वीरों को सबसे ज्यादा कैद करता है मतलब वह इसके जरिये अपनी भावनाएं ब्यक्त करने की कोशिश करता है ,, आदिकाल से देखा गया है इंसान अपनी अभिब्यक्ति चित्रों के माध्यम से भी दर्शाता था,,
कहा जाता है कि किसी पल को अगर अमर करना हो तो उसे तस्वीरों में कैद कर लो तस्वीरें किसी के प्रति आपकी भावनाओं का भी हाल बताती हैं। इंसान के पास जब इतने हाईटेक कैमरे नहीं थे, तब भी वह तस्वीरें बनाता था,चित्र बनाना इन्सान के लिए अपनी रचनात्मकता की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम रहा है। प्राचीन गुफाओं में उसके बनाए गए भित्ति चित्र इस बात के गवाह हैं। इनके जरिए वह आने वाली पीढि़यों के लिए कितनी बेश्कीमतीसौगात छोड़ गया है। बाद में जब कैमरे का आविष्कार हुआ, तो फोटोग्राफी भी इन्सान के लिए अपनी क्रिएटिविटी का प्रदर्शन करने का एक जरिया बन गया।
फोटोग्राफी या छायाचित्रण संचार का ऐसा एकमात्र माध्यम है जिसमें भाषा की आवश्यकता नहीं होती है। यह बिना शाब्दिक भाषा के अपनी बात पहुंचाने की कला है।
इसलिए शायद ठीक ही कहा जाता है “ए पिक्चर वर्थ ए थाउजेंड वर्ड्स” यानी एक फोटो दस हजार शब्दों के बराबर होती है। फोटोग्राफी एक कला है जिसमें फोटो खींचने वाले व्यक्ति में दृश्यात्मक योग्यता यानी दृष्टिकोण व फोटो खींचने की कला के साथ ही तकनीकी ज्ञान भी होना चाहिए। और इस कला को वही समझ सकता है, जिसे मूकभाषा भी आती हो।,,,
“दीप”