उत्तराखण्ड
आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध काशीपुर के अनमोल अस्पताल में बड़ा फर्जीवाड़ा।

संवादसूत्र देहरादून: गरीब व जरूरतमंद लोग के उपचार में मददगार बन रही आयुष्मान योजना को फर्जीवाड़े का घुन लग गया है। जनस्वास्थ्य सुरक्षा में उपयोगी इस योजना में भी निजी अस्पताल गड़बड़ी से बाज नहीं आ रहे। आयुष्मान में सूचीबद्ध काशीपुर के एक और अस्पताल में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। काशीपुर के मुरादाबाद रोड स्थित अनमोल अस्पताल के 160 से अधिक क्लेम के परीक्षण में कई तरह की अनियमितता मिली हैैं। जिस पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अस्पताल की सूचीबद्धता निलंबित कर दी है। स्पेशल आडिट के साथ ही अस्पताल से रिकवरी भी की जाएगी। बता दें, एक माह के भीतर चार अस्पतालों में फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। ताज्जुब ये कि चारों ही अस्पताल काशीपुर के हैैं। वहीं, अब तक प्राधिकरण 35 से अधिक अस्पतालों पर निलंबन की कार्वाई कर चुका है।
दरअसल, अनमोल अस्पताल ने अधिक क्लेम प्राप्त करने के प्रयास में कई स्तर पर अनियमितता की। जनरल मेडिसिन में औसत क्लेम असामान्य रूप से ज्यादा दिखाया गया। सर्जिकल मामलों में उपचार चरणबद्ध ढंग से नहीं किया गया। वहीं, नवजात शिशुओं के मामले में भी कई अनिवार्य दस्तावेज नहीं दिखाए। मरीज को आइसीयू में भर्ती बताया, पर आइसीयू बेड की फोटो, महत्वपूर्ण चार्ट आदि दाखिल ही नहीं किए। मरीजों की फोटो में आइवी लाइन भी स्पष्ट नहीं थी। वहीं, आइसीयू से मरीज सीधा डिस्चार्ज दिखा दिया गया। उपचार के दौरान आइसीयू-एचडीयू प्रोटोकाल का भी पालन नहीं किया गया। कई मामलों में आवश्यक पैथोलाजी जांच रिपोर्ट उपलब्ध नहीं थी। पैकेज अमाउंट बढ़ाने के लिए मरीजों को सामान्य वार्ड से आइसीयू-एचडीयू में भर्ती दिखाना, ओपीडी को आइपीडी में बदलने की कोशिश, जैसी भी कई अनियमितताएं सामने आई हैं। अस्पताल का प्रदूषण प्रमाण पत्र भी मार्च-2022 में समाप्त हो चुका है। आयुष्मान की गाइडलाइन का पूरी उल्लंघन किया। जिसकी जांच-पड़ताल के बाद सूचीबद्धता निलंबित कर दी गई है। प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार इस तरह के कृत्य से मरीजों की जान को खतरा हो सकता है। वहीं, अस्पताल ने अन्य मरीजों का विश्वास भी खोया है। ऐसे में अस्पताल के खिलाफ सख्त कदम उठाया गया।
अस्पताल की ओर से अब तक 70 लाख से अधिक के क्लेम प्रस्तुत किए गए हैैं। जिनमें 20 से अधिक मामलों की सात लाख से अधिक की राशि में अनियमितता मिलने पर इन्हें रिजेक्ट किया जा चुका है। वहीं, 140 से अधिक मामलों की 25 लाख से अधिक की राशि में अनिमियतता के संदेह पर स्पेशल आडिट का आदेश दिया गया है।

