कविता
भोले की बारात
कविता
(निशा गुप्ता)
भोले ने बारात चढ़ाई
बाघाम्बर पोशाक सजाई ।
तन पर अपने भस्म रमाई
चन्द्र सुशोभित गंगा माई ।
रुण्ड-मुण्ड की पहने माला
सर्प सुशोभित पी ली हाला ।
नन्दी गण सँग सारे भाई
भूत प्रेत बारात सजाई ।
झूमे गाते सभी सहाई
भोले ने बारात चढ़ाई
बाघाम्बर पोशाक सजाई।।
मात पार्वती रूप सजाया
भोले के मन जो है भाया ।
मंत्रमुग्धा पार्वती देखे
मैना पढ़े लेख के लेखे ।
लेकिन कुछ भी समझ न पाई
भोले ने बारात चढ़ाई
बाघाम्बर पोशाक सजाई ।।
हाय लिखा क्या विधना लेखा
कैसे पार्वती संग रेखा ।
फूल कुमारी मेरी प्यारी
ये तो लगता निपट भिखारी ।
फूल कुमारी नहीं जानती
कैसे इससे प्रीत निभाई ।
भोले ने बारात चढ़ाई
बाघाम्बर पोशाक सजाई
होश खोया गिर गई मैना
देख पार्वती खोया चैना ।
कर जोड़ फिर बोली पार्वती
बात मानो प्रभु मैं जानती ।
कर जोड़ बस ये ही माँगती
प्रीत की रीति तुम्हीं निभाई ।
भोले ने बारात चढ़ाई
बाघाम्बर पोशाक सजाई ।।
रूप दिखाओ माँ को सुन्दर
बेकल है वो मन के अंदर ।
प्रभु जानू मैं खेल तुम्हारे
बंधन सात जन्म के सारे ।
सुन्दर रूप प्रभु है सुहाई ।
भोले ने बारात चढ़ाई
बाघाम्बर पोशाक सजाई ।।
प्रभु मन ही मन रहे मुस्काए
मैना को नव रूप दिखाए ।
हुए सकल खुश त्रिलोक वासी
फूल बरसाए करे हाँसी ।।
सात जन्म के बंधन साईं
भोले ने बारात चढ़ाई
बाघाम्बर पोशाक सजाई
निशा”अतुल्य”