कविता
बजट सत्र :भराड़ी सैंण
(जागर)
हरदेव नेगी
बारह बैंणी भराड़ी
खुदि होलि, वे भराड़ी सैंण का डांडा मा,
हे बल
उत्तराखंड का बजट सत्र की
हल्ला रोळि
नेतों का भासणों की छरोळि,
अफसरों कि गाड़्यों की प्वां – प्वां,
सुर सुरया वे डाडां की बथौं स्वां – स्वां।।
पक्ष का नेतों कि सुळकारि
विपक्षा नेतों कि जिकुड़ी दुख्यारि,
कांग्रेस्योन ब्वोलि तुमुन खै,
बीजेपीन् ब्वोलि तुमुन खै,
बल खै क्या च?
।
जनता ब्वनि :-
द्वी राजधान्यों का भारा न्
आंदोलनकार्यों का सुपन्यों कु ल्वे खै,
।
बीजेपी कांग्रेसी यखु कुल का द्वी-भै
कमीशन की झ्वोळि भात चट करि खै।।
नौन्याळ्यों कि नौकरी चाकरी खै,
बिजली बणौंणा बाना सेरु गौं मुल्क खै।।
रड़कदा यूँ डांड्यों की जिकुड़ि सतै
विस्थापन का नौ कु गारु माटु खै
ब्वन क्या चा सेरु उत्तराखंड खै,
यखा नेता बणिंगैनि भ्यौरा बाखरा,
अर दिल्ली बटी पळसी यूँ थैं हकोणूं चा,
यू मा नि रे ख्वे दम खम,
सुद्दि छन्न ब्वना काबिल छा हम।।
हे बल
फागुंण चैता की कन बहार चा?
देरादूंण बटि दिशा ध्यांणि भराड़ी एैईं चा..।
हे बजट की कल्यो कि खुचकंडी सजीं चा
पीठु कुटि कि गुड़ कु वे बजट पर पाक लग्यूँ चा।।
हे दिशा ध्यांड़यों तुम रूठि ना जय्यां
सफेद कुर्ता वालों जौ जस अपड़ा मैत्यों थैं बि देयां।।
हे तुम सणिं न्यूति कि बुलौला,
पूजि कि पठौला,,,
बारह मैनों मा यनि एक द्वी बार
ईं भराड़ी सैंण तैं भेंठदि रयां।
हरदेव नेगी गुप्तकाशी( रुद्रप्रयाग).