कविता
घर आँगन में खुशियाँ नाचे…
गीत
निशाअतुल्य
घर आँगन में खुशियाँ नाचे, आई जगमग शुभ दीवाली ।
लक्ष्मी माता लेकर आई, धन धान संग है खुशहाली ।
सागर मंथन से प्रकटे हैं, प्रभु धन्वंतरि कलश संग हैं ।
बाँटे सकल स्वास्थ्य धन ऐसे, देखो सबके खिले अंग हैं ।।
दीपों का त्योहार निराला,डोले तन मन की हर डाली
लक्ष्मी माता लेकर आई, धन धान संग है खुशहाली ।
गणपति लक्ष्मी वाम विराजे, देते रिद्धि-सिद्धि जब आते ।
पूजन गणपति प्रथम करो जब, माँ लक्ष्मी से तब वर पाते ।।
दीपों की माला से सजती, देखो रात अमावस वाली ।
लक्ष्मी माता लेकर आई, धन धान संग है खुशहाली ।।
रंगोली से द्वार सजाते, सब दीपोत्सव रहे मनाते ।
माँ आवाहन करें तुम्हारा,रोली अक्षत तुम्हें लगाते ।।
सागर मंथन से जग प्रगटी, माँ की है छवि बड़ी निराली ।
लक्ष्मी माता लेकर आई, धन धान संग है खुशहाली ।।
निशाअतुल्य