कविता
होली: “जोगी जी वाह जोगी जी”
निशा गुप्ता(अतुल्य)
होली के हुलियारे आए , चंग बजाते आज ।
पी कर भंग हुए मतवाले, खोले मन के राज ।
जोगी जी वाह जोगी जी , 2
जोगीरा सरा रारा रा , जोगीरा सर्रर्रर्रर्रर्रर्रर र्रार
गोरी बैठी लिए हाथ में, रंग गुलाबी लाल ।
सुध-बुध खोए खड़ी बजरिया, भटकी उसकी चाल ।
जोगी जी वाह जोगी जी , 2
जोगीरा सरा रारा रा, जोगीरा सर्रर्रर्रर्रर्रर्रर र्रार
छोड़ शर्म को आई दौड़ी, साजन हुए निहाल ।
पिया अंग सभी रंग डाला, प्रेम प्रीत की चाल ।
जोगी जी वाह जोगी जी , 2
जोगीरा सरा रारा रा , जोगीरा सर्रर्रर्रर्रर्रर्रर र्रार
साजन ने बाहों में भरकर , तप्त ओंठ रख भाल ।
पाई स्वीकृति मिलन पिया से, खोल जिया के हाल ।
जोगी जी वाह जोगी जी , 2
जोगीरा सरा रारा रा , जोगीरा सर्रर्रर्रर्रर्रर्रर र्रार
गोरी ने सब आज लुटाया , पिया रहे जब साथ ।
ऐसा फागुन रहे सदा ही , ले हाथों में हाथ ।
जोगी जी वाह जोगी जी , 2
जोगीरा सरा रारा रा , जोगीरा सर्रर्रर्रर्रर्रर्रर र्रार
निशा”अतुल्य” (देहरादून)