कविता
आऊंगा लौटकर वादा रहा
दीपशिखा गुसाईं
समर्पित शहीद जवानों को
“श्रद्धांजलि दिवस”
“माँ जाने भी दो ना मुझे अभी,
आऊंगा लौटकर वादा रहा,
तेरी गोद में सर रखकर,
सुकूँ से सोऊंगा आकर फिर कभी,
हाँ ये न वादा रहा मेरा कभी,
मनुष्य ही बन आऊंगा फिर कभी,
देखो न माँ कितनी नफ़रतें,
दुनियां में हर तरफ,
इंसान एक दूसरे की,
खून का प्यासा फिर रहा,
बन चाह मेरी एक परिंदा,,
कोई चील या हो कोई मैना,
बन आऊंगा लौटकर
किसी भोर का कौआ बन,
तेरी ही चौखट पर
हसरत रखूँगा फिर,
बस इसी तरह कुहासे के सीने पर
तैरकर आऊंगा फिर,
उस ऊँचें बांज के पेड़ की छाँव में
या मुंडेर पर उगे संतरे के पेड़ पर
कोयल की कुहू में सुन लेना मुझे,
पहचान तो पायेगी न माँ,
मेरी निशानियों को सहेजकर
हमेशा रखना तुम माँ,
बस एक आवाज देकर तो देखना
तेरे ही पास रहूँगा हरपल सदा,
दुलार देना तब भी मुझे
उस हर रूप में तुम माँ,
जाना है अभी जा रहा हूँ अभी,
पर लौटकर फिर आऊंगा
यह वादा रहा,
तेरे ही गोद में सर रखकर,
अंतिम विदा लूंगा मैं माँ,,”
“दीप”