उत्तराखण्ड
जल मिशन योजना में कोताही बरती जाने पर जनाक्रोश।
संवादसूत्र देहरादून/यमकेश्वर: यमकेश्वर विकास खंड के अंतर्गत चल रही जल मिशन योजना मे भारी कोताही बरती जा रही है ,यमकेश्वर के स्थानीय जन प्रतिनिधि पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट ने बताया कि हर घर जल हर घर नल योजना मानकों के आधार पर पूर्ण रुप से फेल साबित हो रही है जिसका ज्वलंत उदाहरण यमकेश्वर के उन तमाम गांवों मे देखी जा सकती है जहां पर उक्त योजना पर काम चल रहा है या कई गांवों मे प्रथम चरण का कार्य संपन्न हो चुका है लेकिन ठेकेदार व जल संस्थान कोटद्वार के उच्च अधिकारियों की मिली भगत से सरकार की स्वर्णिम योजना पर पलीता लगाते हुये सरकारी धन का सरासर दुरपयोग किया जा रहा है!
क्षेत्र पंचायत सदस्य बूंगा सुदेश भट्ट ने बताया कि उनके द्वारा क्षेत्र मे चल रही जल नल योजना की घटिया गुणवत्ता व निर्मांण कार्य को लेकर जल संस्थान कोटद्वार के अधिषाशी अभियंता संतोष उपाध्याय को कई बार घटिया निर्मांण को लेकर शिकायत की गयी लेकिन अधिषाशी अभियंता संतोष उपाध्याय द्वारा शिकायत को सुनकर समस्या के समाधान की जगह जन प्रतिनिधि का गुस्से मे फोन काट दिया जा रहा है व स्वयं की ब्यस्तता बताकर बार बार जन समस्या को लेकर फोन न करने की हिदायत दी जा रही है !गांव मे जल मिशन योजना को लेकर हुयी बैठक के बीच भी जब संतोष उपाध्याय से जन प्रतिनिधि ने ग्रामीणों की उपस्थिति मे योजना के बारे मे जानकारी लेकर ग्रामीणों की समस्या का समाधान हेतु बात करनी चाही तब भी उक्त अधिकारी द्वारा बडी बत्तमीजी के साथ अपनी ब्यस्तता बताते हुये गुस्से मे फोन काटा गया जिसके गवाह बैठक मे उपस्थित समस्त ग्रामीण हैं!
क्षेत्र पंचायत सदस्य बूंगा ने बताया कि आखिर क्षेत्र मे चल रही सरकार की स्वर्णिम योजनाओं को बेहतरीन तरीके से संपन्न कराने के लिये वो शिकायत करें भी तो कहां करें क्यों कि यहां हर अधिकारी ठेकेदारों से मिला हुवा है और घटिया निर्माण के बाद भी योजनायें पास हो रही है कोई भी अधिकारी शिकायत सुनने को राजी नही जिससे स्पष्ट है कि ईनकी मिलीभगत से ही ईस तरह के घटिया निर्मांण किये जा रहे हैं! स्थानीय ग्रामीणों के साथ क्षेत्र पंचायत बूंगा ने सरकार से गुहार लगाई है कि ईस स्वर्णिम योजना को बेहतरीन तरीके से जन जन तक पहुंचाने के लिये भ्रष्ट व लापरवाह अधिकारियों के अधीन चल रहे कार्यों की जांच हो और जांच मे लापरवाही व सरकारी धन के दुरपयोग पाये जाने पर संबधित विभाग के उच्चाधिकारियों के वेतन से ये भरपाई की जाय ताकी भविष्य मे किसी भी विभाग का कर्मचारी व अधिकारी सरकारी योजनाओं का दुरपयोग करने का दुस्साहस न कर सके।