उत्तराखण्ड
आइये मिलकर पहाड़ को स्वरोजगार की नई दिशा की और ले चलें : कफोला बंधु।
दोनों भाई प्रेरणा बन रहे पहाड़ के युवाओं के लिये।
महामारी में लोकल सब्जियां अब मिल पाएंगी अपने ही गांव से।
कोरोना काल की दूसरी लहर में भी दिन रात एक कर खेती को रखा बरकरार।
अगर लगन हो तो पहाड़ खोदकर भी आप उसमें से रास्ता और नदी तक बहा सकते हो… जो समय समय कर कई लोगों ने कर दिखाया है। जी हाँ बिलकुल यह सिर्फ एक कहानी नहीं बल्कि नरेंद्र और महेंद्र कफोला दो भाइयों की दांस्ता है। ग्राम- नगरासू, जिला- रुदप्रयाग निवासी दोनों भाइयों की ऑर्गेनिक खेती की।
आज से तीन साल पहले यानी 2018 में नरेंद्र कफोला दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था लेकिन शहर की चकाचौंद, तपती गर्मी व ठिठुरती ठंड, बढ़ते पोलूशन और ऊपर से ऑक्सीजन की दिन प्रति दिन की कमी जिसके एवज में महीने के अंत नोकरी से प्राप्त मेहनताना बहुत ही कम देख कर रिवर्स माइग्रेशन का मन बनाया। जी हां यह सब होते हुए दोनों भाइयों ने 2019 में 5 नाली से ऑर्गेनिक सब्जी उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया, 2020 में कोरोना माहमारी के चलते 42 दिन के लॉकडाउन में इसका विस्तार कर 20 नाली कर दिया गया। एक और जब देश इस भयानक माहमारी से जूझ रहा था तो दूसरी और नरेंद्र व महेंद्र कफोला दोनों भाइयों ने 42 दिन रात एक कर लॉक डाउन का सद्पयोग किया, जिसका रिजल्ट यह रहा कि अपने नजदीकी गॉवों व ग्रामीण बाजार में सब्जियाँ उपलब्ध करवाई। जो कि उनके लिए एक स्वरोजगार प्राप्त होने के साथ- साथ उस माहमारी में आम जनता व नजदीकी गॉव वालों की सेवा करने का मौका भी था , क्योंकि वह समय ऐसा था जब बाहर मंडियों से गॉव में सब्जियां आनी बंद हो गयी थी अगर आ भी रही थी तो लोग माहमारी से इतना डर गए थे कि बाजार का कुछ भी समान लेने से डर रहे थे।
महेंद्र कफोला का कहना है कि खेती में काम करते करते दो साल का समय यूं ही निकल गया जिसका थोड़ा सा भी पता नहीं चला और पुनः कोरोना की दूसरी लहर में डबल म्यूटेन वायरस देश के लिए ऐसा त्राहिमान बनकर उभर रहा है कि आम जनता का जीने बचने के साथ रोजगार का संकट छा गया है। ऐसे दुःखद समय में भी हिम्मत को बनाये रखते हुए वर्तमान में सब्जी उत्पादन, मशाला उत्पादन व उद्यानिकी का कार्य 20 नाली से विस्तार कर 38 नाली कर दिया गया है।
जिसमें टमाटर हिमसोना, एच.इस 102, बैंगन- स्वर्ण मणि, डी.बी.एल.2, शिमला मिर्च- अर्का मोहनी,अनुपम, भिंडी- परभनी क्रांति, अर्का अनामिका, बंदगोभी- वरुण, नवक्रान्ति, फूलगोभी- पूसा स्नोबाल, ब्रोकोली- पालम संवृद्धि, मटर- जी.10, फ्रासबीन- वी.एल.1, आलू- लोकल तोमडी व कुफरी ज्योति, प्याज- अर्का निकेतन, लहसून – यमुना सफेद जी.1, धनिया- हरीतिमा, मिर्च- पंत सी.1, हल्दी- सुवर्णा, अदरक- रियो-डी जेनेरो व सुरभि एवं उद्यानिकी में- आम, अमरूद, आड़ू, सन्तरा, नीबू, कटहल, अंखरोट लगाए गए है। जिससे आने वाले 30 से 45 दिन में पुनः कोरोना की इस दूसरी लहर में सब्जियां लोकल मार्केट व गॉव स्तर पर विक्रय हेतु तैयार होगी।
उन्हें सहयोग सब्जी, मशाला उत्पादन व उद्यानिकी में पूर्ण सहयोग उद्यान विभाग रुदप्रयाग से प्राप्त हुआ है जिसमें जंगली जानवरों से फसल की सूरक्षा हेतु फेंसिंग वायर (घेरबाड़) 30 नाली में व स्वम् द्वारा 20 नाली पर फेंसिंग वायर (घेरबाड़) की गयी है, पॉलीहाउस 50 वर्ग मीटर, सिचाई टैंक व समय-समय पर बीज व ऑर्गेनिक खाद विभाग द्वारा प्राप्त होता है।
अब उनकी भविष्य की कार्ययोजना इस तरह है कि इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल के साथ- साथ भविष्य की कार्य योजना की जो प्राथमिकता है उसमें डेयरी व्यवसाय, मुर्गी पालन के साथ-साथ होमस्टे की है जिससे अपने स्वरोजगार के साथ- साथ युवाओं को भी रोजगार प्रदान करना है।
युवाओं हेतु सुझाव- दोनों भाइयों का कहना है कि सभी जनपद व प्रदेश के युवा भाई- बहिनों हेतु यही सुझाव है भारत संरचनात्मक दृष्टि से गांवों का देश है, और सभी ग्रामीण समुदायों में अधिक मात्रा में कृषि कार्य किया जाता है इसी लिए भारत को कृषि प्रधान देश की संज्ञा भी मिली हुई है। लगभग 70% भारतीय लोग किसान हैं वे भारत देश के रीढ़ की हड्डी के समान है जो खाद्य फसलों, तिलहन, सब्जी व मशाल उत्पादन करते हैं। भारत अपने लोगों की लगभग 60 % कृषि पर प्रत्यक्ष या पपरोक्ष रूप से निर्भर है। भारतीय किसान पूरे दिन और रात काम करते है चाहिए वह बीज बोना हो, रात में फसलों पर नजर रखना हो, या फिर आवारा मवेशियों के खिलाफ फसलों की रखवाली करना हो ये सब करना इतना आसान नहीं है परन्तु यह भी सत्य है कि कृष का क्षेत्र किसी भी संकट काल में बंद होने के आसार नहीं है चाहिए आप इस कोरोना माहमारी का ही उदाहरण ले लो विगत 1.5 साल से सारे सेक्टर का कार्य बंद हो गए या फिर मंदी की दौर से गुजर रहा है।
इसके लिए आपको अगर कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक तकनीकी ज्ञान, प्रशिक्षण या अन्य किसी की भी आवश्यकता हो तो में निशुल्क सेवार्थ भाव से अपनी कंसलटेंसी देने को तैयार हूं। पर आप सबको आगे आकर एक साथ चलने का प्रयास करने की जरूरत है।
अब उनकी निम्न बातों के लिये विभाग से सहयोग की अपेक्षा है।
1- जिला स्तरीय ग्राम्य विकास व पंचायती राज विभाग से निवेदन है कि वगत वर्ष 30 नाली में फलदार पौधों का रोपण किया गया था जिसका सरबाइबल रेट 70 प्रतिशत था परन्तु आवारा पशुओं की अवाजाही होने के कारण बहुत ही नुकसान हुवा है जिससे पौधों का सरबाइबल रेट 70 प्रतिशत से घट कर अब 40 प्रतिशत ही रह गया है, जिसको पुनः एरिया बढ़ाने हेतु उद्यान विभाग को प्रस्ताव प्रेषित किया जाएगा जो कुल क्षेत्र 50 नाली हो जाएगा। इसके लिए मेरा निवेदन है कि मनरेगा के तहत चार दिवारी का कार्य प्रारम्भ किया जाय क्योंकि वित्तीय वर्ष 2021-22 में मेरे तोक में कुल 13 मनरेगा जॉब कार्ड धारक है जिनको सरकार के अनुसार साल भर में प्रत्येक जॉब कार्ड धारक को 150 दिन का रोजगार उपलब्ध करवाना है परन्तु अभी तक उक्त समस्त कार्ड धारकों को 1 भी दिन का रोजगार उपलब्ध नहीं हुआ है। अगर चार दिवारी का कार्य शीघ्र प्रारम्भ किया जाता है तो एक और कोरोना काल में कार्ड धारकों को रोजगार मिलेगा वहीं दूसरी और हमारे फलदार वृक्षों की आवारा पशुओं से सुरक्षा होगी। वर्तमान सराकर की जो अभी स्वरोजगार में प्राथमिकता भी है।
2- पशुपालन व डेयरी विभाग से आग्रह है कि डेयरी व्यवसाय हेतु विभाग की वर्तमान में चल रही महत्वकांक्षी योजना व उससे सम्बंधित आवश्यक दस्तावेज से अवगत कराने का कष्ट करेंगे जिससे डेयरी व्यवसाय का कार्य इसी वित्तीय वर्ष में प्रराम्भ किया जा सके।
3- पर्यटन विभाग से भी आग्रह करना चाहता हूँ कि विभाग द्वारा वर्तमान में होमस्टे की जो योजना चल रही है उसकी जानकारी व आवश्यक दस्तावेज से अवगत कराने का कष्ट करें जिससे यह कार्य भी समय पर प्रारम्भ कर क्षेत्र के युवाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ा जा सके।