कविता
एक वादा खुद से करें आज….
कविता
“विश्व पर्यावरण दिवस“
दीपशिखा गुसाईं (दीप)
एक वादा खुद से
करें हम आज.. .
इस ठंडे होते वर्तमान में..
जीवन की कुछ गर्माहट
मन की कुछ हरियाली..
दिल सा भोलापन..
अल्हड़पन संग जोशीलापन..
अंदर की आग
और इन वनों की
ताजी हवा सी..
अहा..
नदियों सा निर्मल
इन पहाड़ों का मौन
हवाओं सा सुरीलापन
मेरे पहाड़ों की मिट्टी
सा सौंधापन
लहलहाते वहां के ये जंगल
इस पहाड़ो सा खुला हो आंगन,
हंसी के साथ खिलखिलाहट…
हाँ कभी एकांत..
मन भरा हो जब,
अहा इन मवेशियों का
वो बुग्याली वो घास..
जहाँ वृद्ध लें सुंकू की सांस
अविश्वास में हो
थोड़ा विश्वास
उम्मीद जगे फिर
अपनेपन में,,,
हाँ थोड़ा सपने
जो हों सच्चे..
चलो आगे बढ़कर अभी…
हाथों में डाल हाथ फिर से
जो बचा उसे बचा लें..
आओ फिर सुकूँ की
गहरी लम्बी सांस
जहाँ हम ले सके फिर से ..
आओ बिलकुल ऐसी सृष्टि का
फिर निर्माण करें सब मिलकर…
…
…
“दीप”