उत्तराखण्ड
बाल आयोग ने स्कूली बच्चों को पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में शामिल होने ने विरोध में इन्हें लिखा पत्र।
संवादसूत्र देहरादून: बाल आयोग ने स्कूली बच्चों को विभिन्न अवसरों पर होने वाले कार्यक्रमों में सड़क पर लाने की परिपाटी को बदलने के लिए सीएम समेत शिक्षा मंत्री और विद्यालयी शिक्षा के महानिदेशक को पत्र भेजा है।
बाल आयोग अध्यक्ष गीता खन्ना ने बताया कि प्राइमरी, राजकीय इंटर कालेज व निजी स्कूलों के छात्रों को पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में शामिल किया जाता है। कई जन जागरण जैसे कार्यक्रमों में बच्चों को रैलियों में ले जाया जाता है, जो बच्चों की सुरक्षा व शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन की श्रेणी में आता है। विद्यालयों में राष्ट्रीय सेवा योजना, नैतिक शिक्षा का एक पीरियड निर्धारित है। इनके कार्यक्रमों के लिए विद्यालय परिसर में ही समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए। कई बार किसी वीआईपी, मंत्री या बड़े अधिकारी के स्वागत में बच्चों को घंटों सड़क पर खड़ा रखा जाता है। अभिभावकों ने नाराजगी भी जताई है। आयोग सदस्य विनोद कपरवाण ने बताया कि आयोग अध्यक्ष की ओर से इस सम्बंध में एक पत्र सीएम पुष्कर सिंह धामी, शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी को भेजा है।