उत्तराखण्ड
इंजीनियरिंग कालेज का संचालन जीआइसी में करने का मामला,कालेज निदेशक व निदेशक खनिकर्म से जवाब तलब।
संवादसूत्र देहरादून /पिथौरागढ़: हाई कोर्ट ने पिथौरागढ़ में इंजीनियरिंग कालेज का संचालन मड़धूरा से हटाकर जीआइसी में करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने निदेशक सीमांत इंजीनियरिंग कालेज पिथौरागढ़, निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म के साथ ही कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश निर्माण निगम को पक्षकार बनाते हुए तीन सप्ताह में जवाब मांगा। इससे पहले कोर्ट ने पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी, सचिव शहरी विकास व सचिव तकनीकी शिक्षा से अलग-अलग शपथपत्र पेश करने को कहा था।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से शपथपत्र दाखिल करने के लिए समय मांगा गया, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि दस जनवरी 2024 नियत कर दी। इस मामले में कोर्ट ने अधिवक्ता ललित सिंह सामंत को न्यायमित्र नियुक्त किया है, जिन्होंने भूतत्व खनिकर्म इकाई उद्योग निदेशालय की 2014 की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। उसमें कहा गया कि कालेज के लिए स्वीकृत भूमि के आसपास कोई भूधंसाव व भूकटाव नहीं हो रहा है।
जनहित याचिका में कहा गया था कि मड़धूरा में इंजीनियरिंग कालेज के निर्माण के लिए यूपी निर्माण निगम की ओर से 14 करोड़ रुपये से अधिक धन खर्च किया गया है। अब नई जगह इंजीनियरिंग कालेज के लिए भूमि तलाशना सही नहीं है। मड़धूरा में सीमांत इंजीनियरिंग कालेज के निर्माण के लिए स्थानीय लोगों ने अपने चारागाह, जंगल और अन्य नाप भूमि दान में दी, जिसे अब असुरक्षित बताया जा रहा है। याचिका में मड़धूरा में कालेज के लिए बने भवन के आसपास हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए सुरक्षात्मक कार्य कराने की भी मांग की गई है। वर्तमान समय मे इंजीनियरिंग कालेज जीआइसी में चल रहा है। कालेज बनने से पहले संबंधित भूमि की जांच की जानी चाहिए थी। अब जब कालेज का निर्माण कार्य पूर्ण होने को है तो उसे असुरक्षित बताया जा रहा है।