उत्तराखण्ड
हाई कोर्ट ने सामूहिक नकल के आरोपित अभ्यर्थियों को पांच साल के लिए परीक्षा से बाहर करने के आदेश पर लगाई रोक।
संवादसूत्र देहरादून/नैनीताल: हाई कोर्ट के सामूहिक नकल के आरोपी अभ्यर्थियों को उत्तराखंड राज्य सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएस) की ओर से आयोजित परीक्षा से पांच साल के लिए बाहर करने के आदेश पर रोक लगा दी है।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में दो अभ्यर्थियों विशाल कुमार और कन्हैया की याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें आतिग के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि उनके नाम एफआईआर में नहीं थे। सरकारी वकील ने तर्क दिया कि प्राथमिकी अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज की गई थी और जांच के दौरान आरोपी उम्मीदवारों के नाम सामने आए। अदालत ने कहा कि जब तक आरोपी उम्मीदवारों को दोषी नहीं पाया जाता, तब तक उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवेदन करने से नहीं रोका जाना चाहिए। याचिकाकर्ता को अनुचित साधनों का प्रयोग कर सामूहिक नकल का दोषी पाया गया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है, इसलिए आयोग की ओर से आयोजित प्रतियोगी परीक्षा में याचिकाकर्ता को आगामी पांच वर्षों के लिए प्रतिबंधित करने का आदेश बहुत कठोर के साथ ही अवैध है।
उनका कहना है कि आयोग की ओर से अज्ञात लोगों के खिलाफ सामूहिक नकल की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है और जांच के दौरान कई अभ्यर्थियों के नाम सामने आये हैं। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध आरोप थे, लेकिन इस स्तर पर नहीं कहा जा सकता कि कदाचार का दोषी है। कोर्ट ने आयोग का दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी।