आलेख
जीवन का सत्य
मधुबाला पुरोहित
यथार्थ वादी जीवन,संघर्ष मय जीवन,उत्तरदायित्व इन सभी गुणों से भरा यह संसार जीवन जीने का सरल और पथ प्रदर्शक अमुल्य मौलिकता को प्रमाणित करता है।जीवन सरल है या कठिन इसका प्रमुख कारण क्या है ?क्या सभी संसारिक सुखों का मूल कारण भौतिकता है? क्या धन के बिना जीवन निरर्थक है ?क्या सभी सुख सुविधाओं से लिप्त हो जाना ही जीवन का सत्य जाना जा सकता है।
प्रश्नचिंह? सत्य को केवल आधारित घटनाओं क द्वारा प्रमाणित नही किया जा सकता उसके लिये अंतर्मन के द्वार तक पहुंचना आवश्यक है।कैसे पहुंचा जाए कैसे विचार किया जाए, क्या आवश्यक नही कि जीवन को सरल बना दिया जाए, सवाल उठता है सरल कैसे बने ? जीवन में सुख और दुख दो युगल सत्य खोजने चले हैं ।सुख को दुख का ज्ञान नही और दुख को सुख का ज्ञान नही -सभी माध्यमों को जानने के लिये मनुष्य जन्म मिला पर मनुष्य तो संसारिक सुख भौतिक सुख में बाध्य हो गया उसके पास समय नही, प्रश्न फिर उठा समय, यह समय किस बात का आभास है सिर्फ दिनचर्या, इस तरह तो उम्र निकल गई एक दिन सब अंधकार मनुष्य मृत्यु शैय्या पर प्रश्न, क्या किया उसने जीवन मै किसके लिये किया किस कार्य के लिये भेजा गया था क्या प्रमाणित किया है, सत्य को ढूढने तीन दर्प सामने थे, जन्म,मृत्यु और समय, यही तो जीवन का सत्य है ।आधार कुछ भी हो अच्छा या बुरा परंतु इस प्रमाणिकता पर कोई प्रश्न चिन्ह नही।।
मधुबाला पुरोहित (दिल्ली )