कविता
“रंगमंच”
दीपशिखा गुसाईं
“अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस 27 मार्च “
संसार एक रंगमंच है ,,
हम किरदार निभाते हैं,.
जिंदगी कहानी इसकी ,
ऑंखें पर्दा बन जाती हैं,
हर रंग का मंचन इसमें ,
कैद होती ख्वाहिशें हजारों ,
हँसाना और मुस्कुराना पड़ता ,
रंगमंच की इस दुनियां में,
कभी चाहे कभी अनचाहे ही ,
निभाने हर किरदार हैं पड़ते,
कभी खुद किरदार हैं गढ़ते ,
कभी बन कठपुतलियां हम,
अजीब सी कश्मकश में,
हरपल बेहतर अभिनय की ,
मुस्कान की चादर ओढ़े ,
कई परतें चढ़ा लेते हम ,
कल्पना की इस दुनियां को ,
चलो ऐसे सजाते हैं,
कुछ कहानी तुम गढो ,
कुछ किरदार निभाते हम ,
पर्दा गिरे जब रंगमंच का ,
तालियां ऐसी बजती रहे ,
हमारे बाद भी रंगमंच
याद हमें ही करता रहे ,,
“दीप”