कविता
लौट आए अवध में राम।
【हरदेव सिंह】
दीपों से धरा ये जगमगा रही,
सरयूं कल – कल निनाद कर रही,
सब हाथ जोड़ के मन जाप करो,
और भजो एक ही गुणगान,
लौट आए अवध में राम,
लौट आए अवध में राम,,।।
गली – गली अवध है सजी
राम जी की लीला है चली,
भक्तों की लंबी टोल है बनी
अपने हृदय में सियावर समाए
बस एक ही भजन भजे हनुमान
लौट आए अवध में राम,
लौट आए अवध में राम,,।।
सब देव आज हुए प्रफुल्लित
चारों दिशाओं में दीप हुए प्रज्वलित,
ऋषि मुनि सब हवन कर रहे
मन लेके अपने प्रभु का ध्यान
लौट आए अवध में राम,
लौट आए अवध में राम,,।।
हरदेव सिंह,गुप्तकाशी(रुद्रप्रयाग)