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कटे जंजीर खुले दरवाजे….
30 Aug, 2021(जन्माष्ठमी विशेष) सर्वेश तिवारी श्रीमुख “जन्म लेते ही वह बेड़ियां काटता है। थोडा सा बड़ा होता...
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अगले जन्म मोहे कुत्ता ही कीजो।
24 Aug, 2021“व्यंग्य“ ✍राजीव_नयन_पाण्डेय छुट्टियों में कुछ न करने की सोच सोफे पर असामान्य ढंग से बैठ टेलिविजन...
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लोकसंस्कृति का एक उत्सव- “लौ/लय्या”
24 Aug, 2021आलेख गजेंद्र रौतेला “स्थानीय गढ़वाली भाषा में लौ/ लय्या कहे जाने वाले इस उत्सव की लोकपरंपरा...
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“विश्व फोटोग्राफी दिवस”
19 Aug, 2021दीपशिखा गुसाईं “कहा जाता है कि किसी पल को अगर अमर करना हो तो उसे तस्वीरों...
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“अब वतन भी कभी जाएंगे तो मेहमां होंगे”….
14 Aug, 2021प्रतिभा की कलम से ‘अब वतन भी कभी जाएंगे तो मेहमां होंगे’ .. इंतज़ार हुसैन साहब...
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कहो तो कुछ मीठा हो_जाऐ ।
13 Aug, 2021व्यंग्य ✍राजीवनयन पाण्डेय हम भारतीय विशेष कर आदमी बात बात में “कुछ मीठा हो जाऐ” करने...
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“तुलनात्मक_परिवेश”
05 Aug, 2021आलेख रचना : राघवेन्द्र चतुर्वेदी “तुलनात्मक भावना न सिर्फ़ एक प्रकार का विकार है बल्कि ये...
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जीरो टौलरैंस दिल – “बातें कम रिचार्ज ज्यादा”
04 Aug, 2021“हरदेव नेगी” जब इंसान 15 पंद्रह या 25 की उमर का होता है तब उसका दिल...
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मुफ्तखोरी का सामाजिक दृष्टिकोण क्या हैं.?
31 Jul, 2021“देवेश आदमी” मुफ्तखोरी का सामाजिक दृष्टिकोण क्या हैं? इसे समझने के लिए दक्षिण सभ्यता को समझना...