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जाति, धर्म, लिंग के आधार पर होने वाले कानूनी भेदभाव को खत्म करने का संविधानिक उपाय है यूसीसी : मुख्यमंत्री।

उत्तराखण्ड

जाति, धर्म, लिंग के आधार पर होने वाले कानूनी भेदभाव को खत्म करने का संविधानिक उपाय है यूसीसी : मुख्यमंत्री।

संवादसूत्र देहरादून: उत्तराखंड में सर्वप्रथम समान नागरिक संहिता लागू किये जाने पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के सम्मान में रविवार को वेंकटेश्वरा यूनिवर्सिटी परिसर, गजरौला, उत्तर प्रदेश में अभिनन्दन समारोह आयोजित किया गया। जिसमें प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहित लागू करने पर उन्हें दिया गया सम्मान उत्तराखंड की सवा करोड़ देवतुल्य जनता का सम्मान है। जिस जनता ने उन्हें ऐतिहासिक निर्णय लेने के योग्य बनाया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी लागू होना भारत के संविधान की आत्मा को साकार करने का उत्सव है। यूसीसी लागू करने का सम्मान संविधान निर्माताओं का सम्मान है, जिन्होंने संविधान में समान नागरिक संहिता की कल्पना को स्थान देकर एक समरस समाज का सपना देखा था। उन्होंने कहा 2022 विधानसभा चुनावों में उत्तराखंड की जनता ने मिथक तोड़कर दूसरी बार राज्य में भाजपा की सरकार बनाई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है। जब भारत विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित होगा, उस समय देश के सभी नागरिकों के अधिकारों में भी समानता होगी, जिसकी शुरुआत उत्तराखंड से हो गई है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में राज्य में यूसीसी लागू हो पाई है। सम्मान नागरिक संहिता, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के सपनों को भी साकार करती है।

मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता को जाति, धर्म, लिंग के आधार पर होने वाले कानूनी भेदभाव को खत्म करने का संविधानिक उपाय बताया। उन्होंने कहा यूसीसी लागू होने से राज्य के सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हुए हैं। प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के नए अध्याय की शुरुआत हुई है। यूसीसी के माध्यम से उत्तराखंड की मुस्लिम बहन-बेटियों को भी हलाला, बहुविवाह, बाल विवाह और तीन तलाक जैसी कुरीतियों से मुक्ति मिली है। उन्होंने कहा अब उत्तराखंड राज्य में महिलाएं को उत्तराधिकार या संपत्ति के अधिकार में भेदभाव का शिकार नहीं होना पड़ेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा समान नागरिक संहिता से न्यायिक प्रक्रिया सरल और तेज होगी। यह कानून लाखों महिलाओं के अधिकारों का सुरक्षा कवच है। उन्होंने कहा यूसीसी को उत्तराखंड में लागू करने के बाद कई मुस्लिम महिलाओं ने उनका धन्यवाद किया है। मुख्यमंत्री ने कहा समान नागरिक संहिता किसी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं, बल्कि ये समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर सभी नागरिकों में समानता से समरसता स्थापित करने का एक कानूनी प्रयास है। इस कानून के माध्यम से किसी भी धर्म की मूल मान्यताओं और प्रथाओं को नहीं बदला गया है। उन्होंने कहा विश्व के प्रमुख मुस्लिम देशों सहित दुनिया के सभी सभ्य देशों में पहले से ही समान नागरिक संहिता लागू है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता क़ानून का प्रभाव उत्तराखंड से पूरे भारत में एक नई चेतना जागृत करने का कार्य करेगा। जिस प्रकार मां गंगा देवभूमि उत्तराखंड से निकलकर पूरे भारत को अपने पवित्र जल से अभिसिंचित करती हैं, उसी प्रकार उत्तराखंड से निकली समान नागरिक संहिता की धारा देश के दूसरे राज्यों को भी इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।

इस अवसर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री ( उत्तर प्रदेश) श्री अशोक कटारिया, कुलाधिपति (वेंकटेश्वरा यूनिवर्सिटी) डॉ. सुधीर गिरी, श्री प्रदीप जोशी, डॉ. राजीव त्यागी, श्री हरि सिंह , भाजपा जिला अध्यक्ष उदय गिरी, श्री अनूप प्रधान एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

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