उत्तराखण्ड
भाजपा का विजयरथ रुका,कांग्रेस ने लिया लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला।
संवादसूत्र देहरादून: उत्तराखंड उपचुनाव में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। बदरीनाथ और मंगलौर दोनों ही सीट से भाजपा को हाथ धोना पड़ा है। बदरीनाथ सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी लखपत सिंह बुटोला और मंगलौर सीट पर काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने जीत दर्ज की है।
उत्तराखंड में उपचुनाव में भाजपा का विजय रथ रुक गया है। भाजपा पिछले दस साल से सत्ता में है और इस दौरान जितने भी उपचुनाव हुए भाजपा ने जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस ने पिछले दस साल में यह पहली जीत दर्ज की है। बदरीनाथ और मंगलौर का चुनावी समर भाजपा के विजय रथ की कड़ी परीक्षा था। चंपावत और बागेश्वर उपचुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में जीत से भाजपा के हौसले बुलंद थे,लेकिन उपचुनाव के नतीजों में बड़ा उलटफेर हो गया।
प्रदेश में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में मंगलौर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन ने और बदरीनाथ सीट पर लखपत सिंह बुटोला ने जीत दर्ज की है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बदरीनाथ विस सीट पर कांग्रेस के हाथों शिकस्त मिली थी, लेकिन कांग्रेस की जीत की पटकथा लिखने वाले राजेंद्र भंडारी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शमिल हो गए थे। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गढ़वाल संसदीय सीट पर बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को 8254 वोटों से पीछे छोड़ा था, लेकिन भंडारी के भाजपा में आने के बाद पार्टी इससे भी बड़ी लीड की उम्मीद कर रही थी।
लोस चुनाव में मिली हार का हिसाब बराबर
बदरीनाथ सीट पर भाजपा ने भंडारी पर ही दांव लगाया। लेकिन मुकाबले में कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी। उपचुनाव में कांग्रेस ने लोस चुनाव में मिली हार का हिसाब बराबर कर दिया। मंगलौर विस सीट भाजपा ने कभी नहीं जीती। मुस्लिम और अनुसूचित जाति बहुल इस सीट पर बसपा और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है।
भाजपा ने इस सीट पर प्रत्याशी तो उतारे. लेकिन उसे कभी कामयाबी नहीं मिली। 2022 के चुनाव में पार्टी प्रत्याशी दिनेश सिंह पंवार को 18763 वोट मिले थे। लोकसभा चुनाव में हरिद्वार संसदीय सीट के अंतर्गत मंगलौर से भाजपा 21 हजार वोट हासिल किए। लेकिन जीत के लिए 30 से 40 हजार वोटों की दरकार है। भाजपा के लिए इतने वोट जुटाने के लिए खास रणनीति बनानी होगी।