उत्तराखण्ड
मुख्य सचिव ने केदारनाथ में थार मामले की जांच के दिये सख्त निर्देश।
संवादसूत्र देहरादून: बीमार और घायल यात्रियों की सुविधा के लिए केदारनाथ लाई गई एसयूवी थार से खास मेहमानों को मंदिर तक ले जाने का मामला विवादों में आ गया है। इसका वीडियो वायरल होने के बाद मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी को जांच के निर्देश दिए। डीएम सौरभ गहरवार के मुताबिक, जांच शुरू कर दी गई है।
केदारनाथ पहुंचाई गई एसयूवी के संचालन के लिए अभी तक कोई मानक तय नहीं हो पाए हैं। प्रशासन का तर्क है कि धाम में एसयूवी का इस्तेमाल बीमार, घायल को स्थानीय अस्पताल पहुंचाने और रेफर की स्थिति में हेलिपैड तक ले जाने के लिए किया जाएगा। लेकिन, शनिवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि एसयूवी से वीआईपी यात्री उतर रहे हैं। ये यात्री कौन हैं और कहां से आए थे, इसके बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है।
31 मई को सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से धाम पहुंचाई गई एसयूवी के संचालन व देखरेख के बारे में अभी तक प्रशासन ने कोई नियम नहीं बनाए हैं। लोनिवि को वाहनों को धाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसके बाद धाम में कौन वाहनों का संचालन कर रहा है और कौन-कौन सवारी कर रहे हैं, कोई जानकारी नहीं है।
तीर्थ पुरोहितों ने भी केदारनाथ में एसयूवी के संचालन पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि व्यवस्थाएं बेहतर करनी थीं, तो एंबुलेंस पहुंचाते, जिससे बीमार, घायल को समय पर उचित इलाज मिलता। उन्होंने हटाने की मांग की है।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि पर्यटन विभाग ने केदारनाथ में बीमार और घायलों की सुविधा के लिए दो थार की व्यवस्था की। लेकिन एक वीडियो में थार से सामान्य लोगों को ले जाता दिखाया गया है। यह बहुत गलत है, जिलाधिकारी को सख्त निर्देश दिए हैं कि सामान्य यात्रियों को थार में नहीं ले जाया जाएगा। ये केवल बीमार और घायल व्यक्तियों के लिए हैं। जिसने भी सामान्य व्यक्ति को थार में ले जाने की अनुमति दी है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
योगेंद्र सिंह, सीईओ, श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने बताया कि केदारनाथ में थार के संचालन को लेकर अभी तक कोई एसओपी जारी नहीं हुई है। मानवीय दृष्टिकोण को देखते हुए बीमार और घायल यात्रियों के लिए वाहन का उपयोग किया जा रहा है।