उत्तराखण्ड
उत्तराखंड पीसीएस प्री परीक्षा की अब बिना महिला आरक्षण के दूसरी सूची होगी जारी।
संवादसूत्र देहरादून/नैनीताल: हाई कोर्ट ने पीसीएस प्री परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों में से आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत आरक्षण देने के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग को संशोधित कट आफ सूची को फिर से संशोधित करने की अनुमति दे दी है। साथ ही आयोग व राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट पहले ही राज्य मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण तथा आरक्षित कोटे में से आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत आरक्षण देकर जारी संशोधित सूची पर भी रोक लगा चुकी है। अब आयोग बिना महिला आरक्षण को लागू किए तीसरी संशोधित सूची जारी करेगा।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में मेरठ (उत्तर प्रदेश) के सत्यदेव त्यागी की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट में उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों की हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र पर भी सुनवाई की गई। इन महिलाओं का कहना था कि वह आरक्षण की हकदार हैं और आरक्षण संवैधानिक अधिकार है। कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता को आपत्ति दाखिल करने के लिए समय दिया है। अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी।
दरअसल उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने उत्तराखंड पीसीएस के लिए 22 सितंबर को संशोधित कट-आफ सूची प्रकाशित की। उक्त सूची में उत्तराखंड महिला आरक्षण को आरक्षित श्रेणी के पदों के लिए लागू किया जा रहा था। इसे याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 16 के उल्लंघन के आधार पर चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने 22 सितंबर को जारी संशोधित कट आफ अंक सूची पर 30 सितंबर को रोक लगा दी थी। और आयोग को काउंटर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने न्यायालय के समक्ष स्वीकार किया कि उत्तराखंड महिला आरक्षण को आरक्षित श्रेणी के पदों पर गलत तरीके से लागू किया गया था। साथ ही 22 सितंबर की कट आफ अंक सूची में संशोधन करने के लिए न्यायालय से अनुमति मांगी थी। ताकि सूची को महिला आरक्षण के बिना इसे फिर से जारी की जा सके।