Connect with us

वन गुर्जरों के अधिकारों के संरक्षण व विस्थापन करने के मामले में देरी पर हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी।

उत्तराखण्ड

वन गुर्जरों के अधिकारों के संरक्षण व विस्थापन करने के मामले में देरी पर हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी।

सँवादसूत्र देहरादून/नैनीताल: उच्च न्यायालय ने राजाजी व कार्बेट नेशनल पार्क में रह रहे वन गुर्जरों के अधिकारों के संरक्षण व विस्थापन करने के मामले में दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। कोर्ट ने पूर्व में दिए गए आदेशों का अनुपालन नहीं करने पर सख्त नाराजगी जताई। अगली सुनवाई तिथि दो मार्च की नियत की है।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पूर्व में कार्बेट नेशनल पार्क के सोना नदी में क्षेत्र में 24 वन गुर्जरों के परिवारों को तीन माह के भीतर 10 लाख रुपये व छह माह के भीतर भूमि का मालिकाना हक संबंधित प्रमाण पत्र देने के आदेश पारित किया था। इसके अलावा राजाजी नेशनल पार्क में वन गुर्जरों के उजड़े हुए परिवारों को जीवन यापन के लिए मूलभूत सुविधाएं जैसे खाना, आवास, मेडिकल सुविधा, स्कूल, रोड व उनके पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करने को कहा था। साथ ही उनके इलाज के लिए पशु चिकित्सक उपलब्ध कराने तथा उनके विस्थापन को लेकर सरकार से एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा कहा था। लेकिन आज तक सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में एनजीओ थिंक एक्ट राइजिंग फाउंडेशन व हिमालयन युवा ग्रामीण व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिये थे कि वन गुर्जरों के मामले में कमेटी का पुनर्गठन कर अन्य सक्षम अधिकारियों को भी इस कमेटी में शामिल किया जाय। सरकार की तरफ से बताया गया था कि कोर्ट के आदेश पर नई कमेटी गठित कर दी है। जबकि याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि सरकार ने वन गुर्जरों के विस्थापन हेतु जो कमेटी गठित की है, उसकी रिपोर्ट पर सरकार ही अमल नही कर रही है। पूर्व में सरकार ने आधे गुर्जर परिवारों को ही मुआवजा दिया। सरकार ने वन गुर्जरों के विस्थापन के लिए जो नियमावली बनाई है, वह भ्रमित करने वाली है। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने अधिकतर परिवारों को मुआवजा दे दिया है। उनके विस्थापन की प्रक्रिया चल रही है। मालिकाना हक संबंधी प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है।
जनहित याचिकाओें में कहा गया है कि सरकार वन गुर्जरों को उनके परंपरागत हक हुकूकों से वंचित कर रही है। वन गुर्जर पिछले 150 सालों से वनों में रह रहे हैं, फिर भी उन्हें हटाया जा रहा है, उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किये जा रहे हैं। सरकार उनको सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए विस्थापन कराए।

Continue Reading
You may also like...

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page

About Us

उत्तराखण्ड की ताज़ा खबरों से अवगत होने हेतु संवाद सूत्र से जुड़ें तथा अपने काव्य व लेखन आदि हमें भेजने के लिए दिये गए ईमेल पर संपर्क करें!

Email: [email protected]

AUTHOR DETAILS –

Name: Deepshikha Gusain
Address: 4 Canal Road, Kaulagarh, Dehradun, Uttarakhand, India, 248001
Phone: +91 94103 17522
Email: [email protected]