उत्तराखण्ड
हाई कोर्ट ने मजारों को हटाने के विरोध में दायर याचिका पर दिया निर्णय,300 अवैध मजारें ध्वस्त और 400 अन्य हटाने की तैयारी।
संवादसूत्र देहरादून/नैनीताल: हाई कोर्ट ने सरकारी भूमि से अवैध धार्मिक निर्माण ध्वस्तीकरण के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है। इस दौरान सरकार ने स्पष्ट किया कि अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने में नियमों का अनुपालन किया गया है। तीन सौ अवैध मजारें हटा दी हैं, चार सौ और चिन्हित को हटाने की तैयारी है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हरिद्वार निवासी हमजा राव व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा है कि सरकार एक धर्म विशेष के धार्मिक स्थलों को अवैध बताकर ध्वस्त कर रही है। याचिका में कोर्ट से धर्म विशेष के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई पर रोक लगाने और ध्वस्त मजारों का फिर से निर्माण करने का आदेश पारित करने की प्रार्थना की है। राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने कोर्ट को बताया कि इससे पहले भी ऐसी ही एक याचिका एकलपीठ खारिज कर चुकी है।
राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हरिद्वार, रुड़की, टिहरी, रामनगर, देहरादून, खटीमा, हल्द्वानी, नैनीताल आदि जगह से पहले ही लगभग 300 अतिक्रमण हटा चुकी है। सरकार अभी 400 अन्य अवैध मजारों को हटाने की तैयारी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी भूमि से अवैध धार्मिक निर्माण हटाने के आदेश सभी राज्यों को दिए थे। सर्वोच्च अदालत ने आदेश में यह भी कहा है कि अगर इस आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो सबंधित राज्यों पर अवमानना की कार्रवाई होगी।