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जग्वाऴ।

आलेख

जग्वाऴ।

हरदेव नेगी

व्यखुनि की धूप अब धीरे धीरे अंधेरे की तरफ करवट बदलने लगी, डा़ड्यों के काख से चंद्रमा धै लगाने लगा,,, घस्यारियां घास की कंडी भरकर घर की तरफ लौटने लगीं, गुठ्यार में बंधी गाय भै़स अपने गुसेंण के आने के जग्वाऴ में अड़ाने व रींगने लगी और गुठ्यार की ओर आने वाले रास्ते की तरफ एक टक्क देखने लगी,,, किसी घस्यारी की आवाज़ सुनती तो कान फड़फड़ाने लगते और रूंणाट शुरू,,,,,,!

उधर दादी की घूघी में बंधी दुध्याऴ नत्यो़ण व नाती भी दूदि पीने के लिए ज़ोर जोर से रोकर दादी को पिथाने लगे, और दादी भी बार – बार ‌ पुंगड़े से घर तरफ आने वाले बाटे को देखकर मन ही मन ब्वारी को ना जाने क्या क्या धंणि बखने लगी,,, ” बल कख ग्ये या ब्वारि आज”.. दादी की द्वी चार घमाक से भी नाती चुप ना हुआ,,, दादी तभी अपने सांखी से टुप लगाती,,, तभी लोरी गाकर मनाने की कोशिश करती,,,,,! हंर्यां देबो कन पिथ्यो़णा व्हेन ई ढीट जिकुड़ा फरा…,! और दादी ब्वारी को धै लगाने लगी,,,,।। वै़से बसग्याऴी घास और वै़से चिफऴा बाटा और जख तख बगदा पांणी की आवाज ब्वारी के कान तक कैंसे पहुंचे,,,, फिर भी ब्वारी सरासर हिठने लगी, गुठ्यार में बंधी भै़स व बच्चों की की चिंता उसके मुख पर झलकने लगी,

दादा जी ने नाती नत्यो़ण के लिए द्वी चार कुरकुरे के पैकेट व फुरुटी रखी व घर को लौटने लगे,,,,, दादा जी का डेली का रुटीन है व्यखुनि को बजार जाना और अपने दगड़यो़ से च्या की दुकान पर अख़बार की बासी खबर पढ़कर डिबेट करना,,, इसी डिबेट में च्या वाले की भी अच्छी खासी दुकानदारी चल जाती,,,!

गुठ्यार से भै़सी पिजाकर जब ब्वारी घर आई तो सबसे पहले दुध्याऴ नाती नत्यो़ण को दूदि पिलाकर चुप करवाया,,,, और बच्चों को दादी के पास छोड़कर अब सबसे पहले च्या का फरेपान चुल्ला में रख दिया,,, ससुर जी भि अदबट्टा में आ रहें होंगे तो उनके आने से पहले साग भुजि का बंदोबस्त करने लगी,,,,,! अब नाती नत्यो़ण की टक्क दादा जी पर चली गई,,, उनके पता है दादा जी कुरकुरे लाएंगे,,, नत्यो़ण दादा के बिना द्वी घड़ी भी नहीं रहती,,, जै़से ही दादा की आवाज़ सुनि झट से घर के रास्ते की तरफ दौड़ पड़ी और दादा से कुरकुरा फुरूटी छीन लिया,,,,।

बच्चों के पापा दूर परदेश में कंपनी में रहते हैं,,, च्या बनाते बनाते ब्वारी ने भी अपने सौंजड़या की जग्वाऴ में अपने इंस्टाग्राम पेज पर खुदेड़ गीत लगाकर लिपसिंग करके अपने पति को टैग कर दिया,,, और गीत था “हात्यूं मा चूड़ी, नाक नथूली सजै द्या, मीथैं ‌स्वामी यखुली ना छोड़यां दगड़ी विदेश लिजै द्या,,,, । इमोशनल होकर जै़से ब्वारी ने दूसरी वीडियो बनाने की सोची तब तक सासु ने धै लगाई ब्वारी नि बणिं त्येरि चा? ब्वारी ने फोन साइड में रखा और सास ससुर को च्या देने लगी।।।


हरदेव नेगी गुप्तकाशी(रुद्रप्रयाग)

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